11 अगस्त 2000 को संसद द्वारा 127 वां संविधान संशोधन विधेयक 2021 पारित कर
दिया गया इस विधेयक का उद्देश्य राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की OBC सूची
स्वयं तैयार करने की शक्ति शक्ति को बहाल करना है |
मई 2021 में आपने मराठा आरक्षण के फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 122वें
संवैधानिक संशोधन अधिनियम को बरकरार रखने की पर नवीनतम संशोधन की आवश्यकता थी
लेकिन यह कहा गया कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग NCBC की सिफारिशों के आधार पर
राष्ट्रपति है निर्धारित करेंगे कि राज्य को भी की सूची में कौन से समुदाय
शामिल होंगे |
वर्ष 2018 के 102 वे संविधान संशोधन अधिनियम ने अनुच्छेद 342 के बाद
अनुच्छेद 342A (दो खंडो के साथ) और अनुच्छेद 338B भी को शामिल किया था |
आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप क्यों किया
SEBC अधिनियम 2018 के तहत महाराष्ट्र राज्य में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से
पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण एक अच्छी खासी चुनौती पूर्ण कार्यवाही थी जब तक कि
सुप्रीम कोर्ट ने अपने मई माह के फैसले में इसे संवैधानिक नहीं ठहराया था
|
यह उल्लेखनीय है कि कम से कम तीन भारतीय राज्यों - हरियाणा, तमिलनाडु, और
छत्तीसगढ़ में ऐसा रिजर्वेशन कोटा पेश किया है जो कुल 50% की सीमा का उल्लंघन
करता है दूसरी ओर गुजरात, राजस्थान, और झारखंड की ऊपरी सीमा बढ़ाने की मांग की
है |
127 वां संविधान संशोधन विधेयक - इस विधेयक की जरूरत क्यों पड़ी?
यह संशोधन विधेयक हमारे देश के संविधान अनुच्छेद 342A के खंड 1 और 2 में
संशोधन करेगा और एक नया खंड-3 भी पेश करेगा यह अनुच्छेद 366 (26c) और 338B
(9) में भी संशोधन करेगा | इस 127 वे संविधान संशोधन विधेयक को यह
स्पष्ट करने के लिए संसद में पारित किया गया है कि देश की सभी राज्य सरकारें
अपने राज्य में ओबीसी की राज्य सूची को बनाए रख सकती हैं |
विपक्षी संशोधन विधेयक का समर्थन क्यों कर रहा है?
सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों की योजना चुनावी
राज्यों में, खासकर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में, ओबीसी
समुदायों के बीच में समर्थन हासिल करना है |
इस विधेयक के राजनीतिक पेच/ महत्व ने विपक्षी दलों को सत्तारूढ़ दल के साथ
ही इस विधेयक का समर्थन करने के लिए मजबूर कर दिया है |
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